La casa de Bernarda Alba या रुक्मावती की हवेली
फ़ेदेरिको गार्सिया लोरका का नाम भारतीय पाठकों के लिए अंजान नहीं है। वे एक स्पेनी नाटककार और कवि के रूप में तो मशहूर थे ही, साथ ही उन्होनें कई सुंदर निबंध भी लिखें हैं। बीसवीं साहित्य के वे सर्वाधिक लोकप्रिय स्पेनी साहित्यकारों में से एक हैं। एक नाटककार के रूप में वे आधुनिक स्पेनी साहित्य के शीर्ष स्तंभों में से एक हैं।

लोरका की रचनाओं में ग्राम्य जीवन अपनी तमाम खूबियों और विसंगतताओं के साथ उपस्थित होता है। यह तीन अंकों का नाटक है, और इसमें कोई पुरुष पात्र नज़र नहीं आता है, इस तरह से हम यह कह सकते हैं कि इस नाटक में कोई पुरुष पात्र नहीं है। पुस्तक में बेरनारदा आल्बा के परिवार को दिखाया गया है।

लोरका के कुछ नाटकों का हिन्दी अनुवाद 2009 में स्पेन सरकार से सहयोग से हुआ है। स्पेनी से हिन्दी में अनुवाद अरुणा शर्मा ने किया है। अच्छे साहित्य पढ़ने के शौकीनों को यह किताब अवश्य ही पढ़नी चाहिए। इसी विषय पर एक सुंदर ब्लॉग भी अङ्ग्रेज़ी में उपलब्ध है, http://bernarda-alba.blogspot.com/ जहां भारत में खास तौर इस नाटक के रंगमंच प्रस्तुति के ऊपर विस्तार से जानकारी दी गई है।
(अगर कहीं से किसी कॉपी राइट का उल्लंघन होता है, तो ब्लॉग लेखक क्षमा प्रार्थी है, और सूचित करने के बाद यह जानकारी ब्लॉग से निकाल दी जाएगी। )