कुछ दिनों
पहले रूस के आखिरी ज़ार निकोलस II की दूसरी
लड़की तात्याना रोमानोवा की ज़िंदगी के ऊपर आधारित यह बहुचर्चित किताब बाज़ार में आई थी।
संयोगवश, मुझे यह दिख गई, और मैंने सोचा
कि यह उपन्यास आकर्षक लग रहा है, क्यों न इसे खरीद लिया जाए...
अगर यह उबाऊ हो तो ऐतिहासिक पात्रों को जानने समझने का मौका मिलेगा, मगर, यह किताब पहले ही पन्ने से बहुत रोचक निकली। अगर
रूसी राजकुमारी तात्याना सामूहिक कत्लेआम जीवित बच निकलती, तो
यह उनके जीवन पर आधारित एक रोमांचक कहानी होती, मगर चूंकि यह
एक ऐतिहासिक उपन्यास है, तो सारी कहानी फ्लैश बैक के जरिये चलती
है। साइबेरिया के नजदीक, टोबोल्स्क शहर में रूसी शाही परिवार
की सामूहिक रूप से हत्या कर दी गई थी। बाद में ऐसे कई अफवाह सुनने को मिले, जिसमें तात्याना की बड़ी बहन राजकुमारी आंतासिया के बच निकलने की खबरें सामनें
आई थी, लेकिन 1991 ई॰ में डी एन ए टेस्ट के बाद इन सारे अफवाहों
को समाप्त कर दिया गया।
कहानी
तात्याना शुरू करती है, हालांकि अगर इसे
राजकुमारी आंतासिया शुरू करती तो यह और भी रोचक होता तथा सत्यता का पुट इसमें कहीं
और ज्यादा होता। कहानी अमरीका से शुरू होती है, जिसमें राजकुमारी
तात्याना, वृद्धावस्था में अपने पिता निकोलस के राज दरबार, उसके वैभव और उनमें बसी षडयंत्रों को विस्तार से दिखाती है। वह यह भी बताती
है कि कैसे उसकी माँ पादरी रासपुतिन के प्रभाव में थी, जिसके
पास कई चमत्कारिक शक्तियाँ थीं। फिर, इस पुस्तक में जापान और
रूस के प्रथम युद्ध और उसमें रूस के द्वारा सामना किए गए हार का त्राषद उल्लेख है।
साथ ही, मजदूरों के अभाव ग्रस्त जीवन और उनके असंतोषों का भी
विवरण है। राजकुमारी के आकर्षण और उनके प्रेम का भी हल्का चित्रण है। बाद में, यह पुस्तक उस उस समय एकदम से घूमती है, जब रूसी शाही
परिवार को कत्ल करने के लिए ले जया जाता है। दरिया, मिखाइल जैसे
कई पात्र भी डाले गए हैं, जो वास्तविक रूप से नहीं हैं।
यह उपन्यास
यह भी बतलाती है कि पारिवारिक सम्बन्धों के जरिये जर्मन, अंग्रेज़, और रूसी राजपरिवार
कैसे एक दूसरे से जुड़े हुये थे, तथा उस समय जर्मनी की बढ़ती ताकत
को रोकने कैसे और दूसरे राज परिवार एक जुट हो रहे थे।
संक्षेप
में, यह एक रोक पठनीय किताब है। कहीं अगर यह दिख
जाए, तो पढ़ने से हिचकिचाएगा नहीं....