कल शाम जब मैं रेडियो सुन रहा था, तो मुझे पता चला कि स्पेनी सम्राट खुआन कार्लोस I वृद्धावस्था और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण अपनी गद्दी छोड़ रहे हैं। आखिर कौन हैं ये सम्राट ?
चूँकि हिंदी पाठकों का स्पेनी दुनिया से कम ही सम्बन्ध होता है, इस लिए उन्हें विस्तार से बताने के लिए मुझे थोड़ा से पीछे जाना होगा। स्पेन में राजशाही की लम्बी परंपरा रही है और पहली बार पूरा स्पेन सन 1492 ई. में एकीकृत राजशाही के अंदर आया था। तब से ले कर अब तक सिर्फ दो छोटी छोटी काल अवधियों (प्रथम गणतंत्र 1873 – 1874 तथा दूसरा गणतंत्र 1931 – 1939) को छोड़ कर स्पेन में राजाओं ने ही शासन किया हैं, और आम जानता का भरपूर समर्थन इनके साथ रहा है। मैं अपने अगले ब्लॉग में इन दो अवधियों के बारे में विस्तार से लिखूंगा।
चूँकि हिंदी पाठकों का स्पेनी दुनिया से कम ही सम्बन्ध होता है, इस लिए उन्हें विस्तार से बताने के लिए मुझे थोड़ा से पीछे जाना होगा। स्पेन में राजशाही की लम्बी परंपरा रही है और पहली बार पूरा स्पेन सन 1492 ई. में एकीकृत राजशाही के अंदर आया था। तब से ले कर अब तक सिर्फ दो छोटी छोटी काल अवधियों (प्रथम गणतंत्र 1873 – 1874 तथा दूसरा गणतंत्र 1931 – 1939) को छोड़ कर स्पेन में राजाओं ने ही शासन किया हैं, और आम जानता का भरपूर समर्थन इनके साथ रहा है। मैं अपने अगले ब्लॉग में इन दो अवधियों के बारे में विस्तार से लिखूंगा।
पुनर्जागरण काल और बार्रोक काल के इतिहाकारों और नीतिनिर्धारकों ने स्वतंत्र रूप से इस बात की विवेचना की है कि स्पेन के लिए सम्राट क्यों जरूरी है, मगर ऐसा तत्कालीन दूसरी यूरोपियन शक्तियों ने अपने सम्राट का विस्तृत विवेचन और उनकी उपयोगिता का स्वतंत्र परीक्षण नहीं किया है।
खैर, मूल विषय पर वापस लौटते हुए हम सन 1936 में वापस लौटते हैं और देखते हैं कि सन 1936 से लेकर 1939 तक स्पेन में भीषण गृहः युद्ध हुआ। इस गृहयुद्ध में एक तरफ तो वामपंथी शक्तियां थी तथा दूसरी ओर परम्परावादी शक्तियां थी। परंपरावादी शक्तियों में चर्च और राजशाही के समर्थक शामिल थे। यह एक लम्बी कहानी है और अंततः एक स्पेनी जनरल फ्रांको में स्पेन की गद्दी हथिया ली और राजकुमार खुआन कार्लोस को अध्ययन के लिए बाहर भेज दिया। अपनी वसीयत में जनरल फ्रांको ने राजकुमार कार्लोस को गद्दी का वारिस बनाया।
खैर, मूल विषय पर वापस लौटते हुए हम सन 1936 में वापस लौटते हैं और देखते हैं कि सन 1936 से लेकर 1939 तक स्पेन में भीषण गृहः युद्ध हुआ। इस गृहयुद्ध में एक तरफ तो वामपंथी शक्तियां थी तथा दूसरी ओर परम्परावादी शक्तियां थी। परंपरावादी शक्तियों में चर्च और राजशाही के समर्थक शामिल थे। यह एक लम्बी कहानी है और अंततः एक स्पेनी जनरल फ्रांको में स्पेन की गद्दी हथिया ली और राजकुमार खुआन कार्लोस को अध्ययन के लिए बाहर भेज दिया। अपनी वसीयत में जनरल फ्रांको ने राजकुमार कार्लोस को गद्दी का वारिस बनाया।
22 नवम्बर 1975 को गद्दी पर बैठे एक नए राजा के लिए चुनौतियां कम नहीं थी। एक तरफ तो लोकतंत्र की स्थापना करनी थी तो वहीँ स्पेनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना था। दूसरी तरफ तानाशाही के कारण खोयी प्रतिष्ठा को भी वापस लाना था। सम्राट ने अपने कार्यों को पूरी तरह से पूरा किया। ऐसी बात नहीं है कि इस के लिए उन्हें विरोध का सामना न करना पड़ा हो। 23 फरवरी 1981 को सैनिकों के एक धड़े ने तख्ता पलट की कोशिश की और स्पेन की संस्सद को बंधक बनाने की कोशिश की। उन्हें जनता ने पूरी तरह से नकार दिया और सम्राट के शालीन व्यवहार ने सबका दिल जीत लिया।
आने वाले वर्षों में सम्राट ने असीम लोकप्रियता पाई, मगर शासन के अंतिम वर्षों में उनके दामाद इन्याकि उरदंगारिन के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोपों, बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, आर्थिक संकट के कारण उनकी लोकप्रियता में काफी कमी आई। स्पेनी राजा ने कुछ समय पहले ही अपने उत्तराधिकारी फेलिपे VI को शासन त्यागने के बारे में अवगत कर दिया था। उत्तराधिकार की इस प्रक्रिया में तीन से छह हफ्ते लगने की संभावना है।
आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा स्पेन को गणतंत्र बनाने के लिए सहमत है, मगर स्पेनी राजशाही बहुत ही लोकप्रिय है। इसलिए, इस बात की संभावना बहुत कम ही है कि निकट भविष्य में स्पेन में गणतांत्रिक शक्तियां को जनता का मामूली समर्थन भी मिल पायेगा, संविधान संशोधन तो दूर की बात है।